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मुल्तवी

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क्या ये महज इत्तेफाक था .. मुझसे लगभग पांचवीं बार ये सवाल किया गया था और मै निरुत्तर रहा हर बार अपनी सारी सहानभूति निचोड़ने के बाद भी मै उन्हें ये समझाने में असमर्थ था कि चमकीली तलवारों , ताज़ी राख के भभूतों और चिलम से अलमस्त आँखों वाले बाबाओं के लम्बे जुलूसों (जिन्हें निकालने संभालने के लिए पूरी सरकार अपने सारे हथकंडों से तत्पर है और यह समझाने के लिए की सरकार का कोई धर्म नहीं होता कागजी कार्यवाही पूरी पूरी है ) के आगे क्यों नहीं भेजा जा सकता हालाँकि मेरे पास इतना एक्सक्यूज है की व्यक्ति की सुरक्षा देश की संप्रभुता एकता और अखंडता के लिए समानता का अधिकार मुल्तवी किया जा सकता है थोड़ी देर के लिए ... जुलूस के गुजर जाने तक .