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बाहर मै ... मै अंदर ...

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ये  कवितायेँ मेरे निजी अनुभव का इकबालिया बयान सा हैं ...समय के बरक्स मेरे होते जाने का प्रमाण ...ये हैं इसलिए मै  हूँ ... बाहर मै ... मै अंदर ... यहाँ से मंगा सकते हैं- शिल्पायन, १०२९५, लें नंबर १, वेस्ट गोरख पार्क, शाहदरा, दिल्ली-११००३२