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https://www.kafaltree.com/goody-goody-days-part-7/ अंतर देस इ (... शेष कुशल है !) गुडी गुडी डेज़ ( झुटपुटे के खेल ) पूस का महीना था | शाम का समय | पप्पन उदास बैठे थे | इसके प्रदर्शन के लिए उन्होंने ये किया था कि आँखें ऊपर जहां भी शून्य लिखा हुआ हो वहां और अपनी तशरीफ़ की कटोरी घर के बाहर चबूतरे पर टिका दी थी | बहुत प्रयासों के बाद भी उनकी तशरीफ़ अभी इतनी सी ही थी | आमतौर पर उंकडू बैठते थे | आज उदासी की वजह से चबूतरे की ज़रा सी मदद लेकर टिक गए थे | मोहल्ले के लौंडों में सबसे छोटे माने जाते थे पप्पन | देखने में भी और जैसा कि लोगों का कहना था , हरकतों से भी | मासूमियत उनके होठों से टपकती और आँखों से झपकती थी |      उदासी थी तो उसका कारण भी रहा होगा | कुछ लोग पूछने को आए | वैसे आमतौर पर पप्पन खुद पूछते कम बताते ज़्यादा थे | ` क्या हाल हैं ?’ ` ठीक नहीं है |’ ये दोनों वाक्य एक ही श्री मुख से निकलते वो भी लगभग एक साथ | कभी - कभी तो दूसरा वाला पहले निकल आता | बताते - पूछते और कुछ न बताते न पूछते समय पप्पन के दोनों गालो