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दिसंबर, 2009 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

घूमते रहे

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सुख की कतरने चूमते रहे जाम-ए-गफलत पी लिया, झूमते रहे हर गली, हर सड़क बावस्ता अंगूठे के फिर भी किस चाह में घूमते रहे!!