संदेश

जून, 2009 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अर्नेस्तो कार्देनाल की कविताओं का अनुवाद

मै तुम्हे ये कवितायेँ देता हूँ :अर्नेस्तो कार्देनाल अनुवाद -नरेन्द्र जैन -अंततः :कविता का सिलसिला दूसरी किश्त हमारी कवितायेँ फिलहाल प्रकाशित नहीं हो सकतीं वे हाथों हाथ प्रसारित होती हैं पांडुलिपि या उनकी प्रतियाँ लेकिन एक दिन लोग उस तानाशाह का नाम भूल जाएंगे जिसके ख़िलाफ़ ये लिखी गईं थीं और कवितायेँ ,पढी जाती रहेंगी !! 2. हो सकता है इस साल हम विवाह कर लें मेरे प्यार और शायद हमें छोटा सा घर मिल जाए और हो सकता है मेरी कविता पुस्तक प्रकाशित हो जाए या हम दोनों विदेश यात्रा पर निकल पड़ें हो सकता है मेरे प्यार की इस साल सोमोज़ा का पतन हो जाए !!

अर्नेस्तो कार्देनाल की कविताओं का अनुवाद :

मै तुम्हे ये कवितायेँ देता हूँ :अर्नेस्तो कार्देनाल अनुवाद -नरेन्द्र जैन -अंततः :कविता का सिलसिला पहली किश्त अंततः ख्याल रक्खो क्लौडिया जब तुम मेरे पास होती हो क्योंकि हल्की सी जुम्बिश कोई शब्द क्लौडिया की एक आह कोई हल्की सी भूल शायद विशेषज्ञ एक दिन इसकी जांच करेंगे और क्लौडिया का यह नृत्य शताब्दियों तक याद रक्खा जाएगा !! 2 तुम जिसे मेरी कविताओं पर गर्व है इसलिए नहीं की मैंने इन्हें लिखा बल्कि इसलिए की वे तुम्हारी प्रेरणा थीं हालांकि वे तुम्हारे खिलाफ लिखीं गईं थीं तुम बहुत बढिया कविताओं को प्रेरित कर सकती थीं तुम बेहतर कविताओं को प्रेरित कर सकती थीं . अर्नेस्तो कार्देनाल स्पानी भाषा के महत्व पूर्ण कवि रहे हैं . कहीं हद्द तक एजरा पाउंड की कविताओं से समानता रखने वाली अर्नेस्तो की कवितायेँ उनके राजनीतिक विचारों का मुखर स्वर हैं . १९७९ में सोमोज़ा के खिलाफ क्रान्ति और तख्ता पलट की कार्यवाही हुई थी . अर्नेस्तो की कविताओं ने इस पूरे आन्दोलन को विचारात्मक आधार दिया था . अर्नेस्तो और उनकी कविताओं , विचारों के बारे में आपकी जानकारियाँ आमंत्रित हैं .
एक ख्वाहिश फकत रह गई आख़िरी अपनी भी कोई इक ख्वाहिश तो हो दाम मिलने को तो मिल जाएँ बहुत अपने जैसों की भी कभी नुमाइश तो हो ..... -सोचा था पता नही लोग कैसे लेंगे इस ब्लॉग को ...लेकिन टिप्पणियाँ पढ़कर अच्छा लगा! ऐसे ही मनोबल बढाते रहें ! गुरूजी वर्ड वेरिफिकेशन हटा दिया है... धन्यवाद
UPSCउपासक की वेदना अजीब मंदिर है ये भी! इतना विशाल की अन्दर आने में पूरा एक साल लगता है और मजे की बात की जरूरी नहीं की अन्दर आने ही दिया जाए! जब तक आप अपनी फूल मालाए , चढावे अक्षत आदि संभालते , एक दूसरे की धूल पसीने और दुर्गन्ध को झेलते झेलाते , कुछ क्रुद्धः कपि टाइप के लोगो की टांग खिचाई और टंगडी फंसाई से बचते बचाते दरवाजे तक पहुचते है की भड़ाक !दरवाजा बंद ...शो का टाइम ख़तम हुआ जैसा फिर बैठे आप कान खुजाइये और सर धुनिये की कलुए साले का तो चढावा भी कम था फिर कैसे अन्दर हो गया ? ये पहला मंदिर देखा मैंने जहां परिक्रमा पहले होती है मंदिर की दर्शन बाद में !चार परिक्रमाए चार मौके ..अन्दर जाने के लिए तीन दरवाजे भयंकर !पहले दरवाजे की हाईट थोडी कम है इसलिए बड़े बड़े अकडू जो झुकते नहीं ...इस महादेव के आगे सर नहीं नवाते भीड़ जाते है भड़ाक से ...फिर सर पर गूमर लिए घूमते है और इंतजार करते है दूसरी परिक्रमा ..दूसरी बार इस दरवाजे के खुलने का .ये दरवाजा थोडा चौड़ा है इसलिए बहुत से दर्शनार्थी लाँघ जाते हैं .दरवाजे पर दो घंटिया हैं ,दोनों में आपस में कोइ मेल नहीं ,बजानी दोनों पड़ती है .बज गयी तो वाह जी

कहाँ तक जाओगे ?

वो कहते है बहुत दूर तक नही जा पाउँगा ...पुलिस की नौकरी और ब्लॉग्गिंग ...देखते है ...

परिचय

ये एक अजीब सा ब्लॉग है ... यहाँ बिना किसी आशा ,प्रत्याशा के कहीं का ईंट कहीं का रोडा जोड़कर कुछ अपनी कुछ पराई परोसने का प्रयास है ... यहाँ कविता होगी ... कहानी होगी ...लेख होगा ..विचार होगा ...वो सब कुछ होगा की जिसके होने से जिंदा रहने का एहसास होता है ...तो पुनश्च ........ये जीवन की आशा और प्रत्याशा का कच्चा चिट्ठा है

समर्पण

नया कुछ अजब सा लिखूं कही कुछ गजब सा लिखूं दिल में समाए बस उतना लिखूं सिमटे न मुझसे मै क्या क्या लिखूं तुम्हारे लिए बस तुम्हारे लिए... तुम्हे दिल का पैगाम दूँ नया कुछ तुम्हे नाम दूँ कहानी पुरानी जनम से हमारे उसे एक अंजाम दूँ तुम्हारे लिए बस तुम्हारे लिए .... आओ नई एक दुनिया सजाए खडा हो जहाँ प्यार पलकें बिछाए छिटकी महक हो हँसी की खुशी की आँखे जहाँ मेरी प्यारे सपने सजाएं तुम्हारे लिए बस तुम्हारे लिए .... दिल में दबा लो ये जज्बात सारे मेरे मन को छू लो बस मन से तुम्हारे तुम्हे दू जमी के ये रोशन नजारे ला दू फलक से चमकते सितारे तुम्हारे लिए बस तुम्हारे लिए ....

shuruaat

hi