यहीं है राजभाषा !!

छत भी हिन्दी ,छप्पर हिन्दी
बाना हिन्दी ,बिस्तर हिन्दी ....

संसदीय राजभाषा समिति की तीसरी उपसमिति द्वारा २८ जनवरी २००५ को मुख्यालय का दौरा करने के सम्बन्ध में बैठक ...मुख्यालय के अधिकारियों की बैठक ! कार्यवृत्त का ढांचा ही गलत ..भाषा की गलतियां ..वाक्यों की गलतियां !
अधिकारियों की अनुपस्थिति उनके हिंदी (राजभाषा ) के लिए प्रतिबद्धता के स्तर को बताती हुई !जो आये भी हैं वो महज इसलिए की उन्हें अभी सीखना है ....की खानापूरी कैसे की जाती है !सभी अंग्रेजीदां ...मजे की बात ..कोइ भी क्षेत्रीय भाषा का प्रतिनिधित्व नहीं करता ..हिंदी विरोध के लिए सभी अंगरेजी का करते हैं !
लगता है की हिंदी का मजाक उडाने के लिए बैठक है !सभी हंसते हैं ..अगर कोई तीन चार से ज्यादा शब्द एक वाक्य में लाता है हिंदी के ...तो मुस्कुरा कर स्वागत होता है ..हंसकर स्वागत होता है !
विचार विमर्श की हिंदी का प्रयोग कैसे बढे ?...नहीं वरन ये की महज १५ दिनों में आंकडों की फेरबदल कैसे हो ...कितनी धूल झोंकने से निरीछ्कों को बेवकूफ बना सकते हैं ? सुझाव ...फाइलों के ऊपर नाम हिंदी में हों ...रबर की मुहरें हिंदी में ...हिंदी किताबों की खरीद ...अनुवाद ...!!मूल कार्य हिंदी में करने की कोइ कवायद नहीं !और महानिदेशक (दक्षिण भारतीय और शायद बैठक में सबसे ज्यादा प्रतिबद्ध )का सुझाव फाइलों में भी कुछ कार्य हिंदी में करें ...कुछ अमहत्वपूर्ण कार्य !क्योंकी इतना बड़ा रिस्क तो हम ले ही नहीं सकते न !॥प्रयोग के पहले ही विश्वास ...की गलतियां होंगी ही ...यही है राजभाषा ...यहीं है राजभाषा !!

३१ जनवरी २००५ ,विदेश व्यापार महानिदेशालय ,नई दिल्ली

टिप्पणियाँ

  1. धारदार असरदार पोस्ट...बहुत सटीक लिखा है...
    नीरज

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  2. एकदम सही बात कही है आप ने....आज कैसी विडम्बना है कि हिन्दी दिवस को ही हिन्दी की बात की जाती है।अब तो समाचार पत्रों में भी हिन्दी अशुद्ध लिखी जा रही है।मैं तो ये सोच रहा हूँ कि शायद अगली पीढी़ हिन्दी का बस नाम लेगी,हिन्दी जानेगी नहीं.....

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  3. 'निरीछ्कों' को 'निरीक्षकों' कीजिए।

    @ ..कुछ अमहत्वपूर्ण कार्य !क्योंकी इतना बड़ा रिस्क तो हम ले ही नहीं सकते न !॥प्रयोग के पहले ही विश्वास ...की गलतियां होंगी ही ...यही है राजभाषा ...यहीं है राजभाषा !!

    सत्य वचन। अब बस बाज़ार मजबूर कर दे तो हिन्दी का भला हो ।

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  4. sansadiya samitiyon ke nirikshano ki bakhiya udhed di hai aapne... dar-asal kisi ko bhi hindi ko amal me laane me dilchaspi nahi hai... chahe wo saansad hon ya hindi ka kaarya karne waale ya phir jinse hum chahte hain ki wo hindi me kaam karen......

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