थर्ड डिग्री बनाम तीसरी परम्परा


अजीब पशोपेश है जी........ ये दो विचार हैं......... नेक हैं....... एक में हम चकड़धम चिल्लापुरी को प्यार से बैठाते हैं......... दारू शारू.......... मुर्गा ! फिर जब वो एक हाथ का तकिया लगाए अधलेटा सा होता है तब स्नेह की चाशनी में सराबोर प्रश्न के बीड़े उसकी ओर सरकाते हैं......... श्रीमान चकड़धम चिल्लापुरी जी फलाना मर्डर केस में आप भी तो थे ना ...... हे हे और कौन-कौन था जी आपके साथ प्लीज बताइये ना ...... कैसे किया जी मर्डर और चाकू कहॉं छिपा रक्खा है ..... कुछ तो बोले जी।

एक और भी विचार (तरीका) है..... थोड़ा पुलिसिया है जनाब...... इसमें सबसे पहले तो चकड़धम चिल्लापुरी को उल्टा..... फिर तेल पिये हुए डन्डे..... और फिर -अबे- सच-सच बता-ये मर्डर कैसे किया @और कौन-कौन थे तेरे साथ,@चाकू कहॉं छिपा आया!जहाँ -जहाँ @ है वहॉं-वहॉं मातृ पक्ष के लोगो के लिए सशस्त्र सलामी है । दोनो ही तरीके अतिवादी हैं दोनो ही अजीब हैं पहले से केस ही नही खुलता.... दूसरे से केस के अलावा जाने क्या-क्या खुल जाता है। जॉंचें,डिपार्टमेन्टल इन्क्वाइरी, और जाने क्या-क्या। पुलिस की फजीहत दोनो से है।

एक जो अच्छी छवि के लिए ईजाद किया गया है (जी हॉं ये नई विचाराधारा से जन्मा है.....अल्ट्राडेमोक्रेटिक अल्ट्राह्यूमनिस्टिक है´.... प्राचीन भी नही पारम्परिक भी नही, मानव सभ्यता व स्वभाव से अलग, कृपया इसे चर्च के कन्फेशन बाक्स से अलग ही रखें) उससे नि:संदेह छवि अच्छी होती हैं पुलिस की...... अभियुक्त की नजर में बस `वॉह गुरू कुछ नही होने का दो चार को और ठोक दो ´

दूसरा तरीका जो परम्परा के ऋक्य और मानव सभ्यता और स्वभाव पर खरा उतरता है यकीन मानो मेरे विवेचक भाईयों ये भी फजीहत ही कराता है न...... भई अपने प्रमोशन/पोस्टिंग की चिंता छोड़कर नौकरी कितने लोग कर पाते हैं ?

तो जब दोनो ही तरीके सलीकेदार नही हैं फिर तीसरी परम्परा की खोज कैसे हो! इस प्रश्न का कीड़ा बहुतो के दिमाग में कुलबुलाया होगा। जाहिर है समाधान भी कई आये होगे। हम अपनी खोज शुरू करते है।

एक तरीका हो सकता है मिश्रण का। इसमें पहले तो चकड़धम को उल्टा...... फिर तेल पिए डन्डे और फिर श्रीमान जी फलाना...... प्लीज बताइए ना! नतीजा फिर वही सिफर क्योकि चकड़धम और उसके बाप दादे (मीडिया..... मानवाधिकार और .... और लोग माफ करें अभी) बाद का प्यार भूल जायंगे पहले की फटकार के लिए हजार हजार बार पुलिस को नाको चने चबवाएंगे।

दूसरा तरीका यह हो सकता है कि पहले चकड़धम को प्यार से बैठाते है..... दारू शारू मुर्गा ..... और फिर अगर न बताया तो उल्टा...... तेल लिए डन्डे.....! लेकिन जनाब ये तरीका भी फूलप्रूफ नही है । ये जो फ्रेज है ना `अगर न बताए तो´ ये सब पर लागू होने लगता हैं और अंतत: फिर वही बात!

मुझे तो लगने लगा है और लगता है,कि बहुतों को ऐसा लगता होगा कि तीसरी परम्परा की खोज करना ही व्यर्थ है । उस देश में जहॉं विज्ञान अभी अभी उठा जम्माइयॉं ले रहा है।फोरेंसिक `तो दूर की बात है आम जीवन में विज्ञान से जो एक सिस्टम बनना चाहिए था वो भी नही बना है ऐसे में तीसरी परम्परा का ढोल जो हम कहते है कि विज्ञान बजाए कैसे बजे´ !

यकीन माने चकड़धम चिल्लापुरी जी अभी तक मजे में हैं अपने कहे और किए से उन्हें कोई गुरेज नही हैं। उनकी चारो उंगलिया घी और सिर कढ़ाई (राजनीति) में है। आपके सच का ताप इसे पिघला नही सकता। इन्तजार कीजिए किसी तीसरी परम्परा के पैदा होने का...... विज्ञान का...... विज्ञान के नहा धोकर तैयार होने का तब तक??

अपना सिर तो है न धुनने के लिए!!

टिप्पणियाँ

  1. तीसरी परंपरा का उदय और विकास भारत में सहज नहीं रहा है, तीसरे मोर्चे को ही देख लीजिये.
    पर यहाँ विज्ञान के आने का इंतज़ार ज़रूर होना चाहिए और उसे लाने का प्रयास भी.

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह कमाल की लेखनी है आपकी...शब्दों का इतना सुन्दर और सटीक प्रयोग...पुलिस का तो नाम ही बदनाम है जी वो चाहे जो तरीका अपनाए...:))

    नीरज

    जवाब देंहटाएं
  3. आपके ब्लाग में आकर खुशी हुई।
    आशा है आपकी बेबाक कलम से वह सच्चाई सामने आ पाएगी जो जो आमजन के लिए अनजाना है।

    जवाब देंहटाएं
  4. कमाल का लिखा है ...शब्दों का लाजवाब तरीके से मरोर है, हां तीसरी प्रणाली कोई निकल सकती है ये खोज का विषय है ...... आप ज्यादा अचा बता सकते हैं पुलिस वाले जो हैं ............

    जवाब देंहटाएं
  5. Teesra tareeke ki khoj main humretire ho jayenge.
    all over India we all know how we solve cases, bhagwan hi izzat bachata hai,
    Yeh jo likha hai, bahut badiya hai sir
    Manjit

    जवाब देंहटाएं
  6. आपकी लेखनी कमाल की है
    आप बहुत अच्छा लिखते हैं

    जवाब देंहटाएं
  7. Mai bhi teesre tareeke ki khoj me hu.Samasya yeh hai ki jab vyakti vadi hota hai to apekchha karta hai ki prativadi, chahe jhootha ho ya sachcha,police uski jan lele.Agar policewala sachchai ki khoj kare to arop, ki police ne paise kha liye....giraftari ke bad sara system police ke virodh me....personal liability for public duty....

    jab vyakti ka koi parichit doosre[accused] pale me hota hai to janab sare manvadhikar ke kanoon dhad-dhadate hue ginate hai.....

    Kaun si jadoo ki chhadi laye jisse maloom ho jaye ki attempt to rape ka jhootha mukadma jameen ke vivad me samjhaute keliye hai???????....Aur bhi na jane kya-2?????
    Bhagwan na kare ki kabhi ham-aap is pachade me pade,varna maloom ho jayega ki sach ka patalagana kitna kathin hai,aur usse bhi kathin hai sachchai jante hue bhi sachchai ko siddh karna?

    जवाब देंहटाएं
  8. इतने प्रतिभाशाली लोग - भारत की मेधा के क्रीम अगर तीसरी परम्परा नहीं खोज/स्थापित कर पा रहे हैं तो दुर्भाग्य है।
    कहीं बहुत सॉलिड लोचा है।
    ..
    आप लिखते कमाल हैं, इसमें शक नहीं है।

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

नए झुनझुनों से बहलाने आये हैं