बाज़ार
अब घर में बाज़ार की आहट होती है क्या खरीद किसकी बिकवाली करते हो... दरवाजे पर दस्तक दी हौले हौले अन्दर आया सोफे पर बैठ गया हाल चाल पूछा अपनों का फिर सलाह दी नजले जुखाम से जाम नाक को ठीक करने की बिलकुल अजनबी न लगा जब उसने मेरी थाली में भात खाया बात करते करते बंगाल की! फिर चमकीले ग्रहों की कहानियां सुनाते सुनाते बच्चों के साथ सो गया उनके बिस्तर में रात भर हम बहस में रहे मै और मेरी बीवी उसके चमकीले कपडों और उजले रूप को लेकर उसकी बातों से टपकती तहजीब और आँखों का रेशमी रूमानीपन हमें दो खेमों में बाँट गया हम अलग अलग उसे प्यार करने लगे वो तो सुबह के अखबार ने बताया रात कई घरों में बाज़ार आया था !!
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