ऋषभ तुम्हारी याद में


तब तक भयावह नहीं लगा
ये वेंटीलेटर
जब तक
मेडिकल साइंस की सीमा रेखा पर
ईश्वर के खड़े होने का भान लगा रहा
इन्तजार भी भारी न था
उस चमत्कार का
की शायद हमारी दुआओं
मन्त्र - श्लोकों
( की जिससे हम ईश्वर को जिंदा रखते हैं )
और माँ की गीली कातर आँखों
का एक टुकडा भी वहां पहुँच सके
जहां तुम ईश्वर की गोद में मुस्कुराते से लेटे थे
और ईश्वर
एक बार फिर
इस वातानुकूलित कमरे में
तुम्हारी साँसों को गर्म कर दे
लेकिन
इन भारी बड़ी मशीनों से
तुम्हारे फूलते पिचकते सीने में
भरा गया झूठ
हमें वहां पहुंचा न सका
जहां तुम ईश्वर की गोद में मुस्कुराते से लेटे थे
तुम
जिसने हमारे घर दरवाजे दीवारों पर
खिलखिलाहट पोती थी
तुम
जो अपनी पतली मुलायम उँगलियों के इशारे
और हल्की मुस्कान में
सीधे सच्चे और समझदार से दीखते थे
तुम
जो बड़ी आसानी से किसी की भी गोद में जा बैठते थे
अब की
तुमने ईश्वर को चुना
शायद ईश्वर को
तुम ज्यादा प्रिय थे

टिप्पणियाँ

  1. Dear Rishab,
    We miss u, so much!!
    If tears could build a stairway and memories were a lane,
    We would walk all the way to Heaven, to bring you home again
    No farewell words were spoken, no time to say good-bye
    You were gone before we knew it, and only God knows why
    Our hearts ache in sadness, and secret tears will flow
    What it means to lose you, no one will ever know.
    "DEATH LEAVES A HEARTACHE, JUST NO ONE CAN HEAL,
    LOVE LEAVES LIVES A MEMORY THAT NO ONE CAN STEAL"
    You will always b cherished and remembered!!

    जवाब देंहटाएं
  2. अमित भाई हालाँकि ऐसी स्थितियों में ढाढ़स बंधाना मुश्किल है तब भी कहूँगा कि हमारी संवेदना आपके और परिजनों के साथ है.

    जवाब देंहटाएं
  3. कोई बेहद आत्मीय अपना हाथ छुडा कर जाता हुआ...अपनी छुअन के गुनगुने अहसास को हमेशा के लिए छोड़ जाता हुआ...

    जवाब देंहटाएं
  4. Once again you remined me the whole scene which we gone through, we felt the limitation of ours how weak how small we are we could not do any thing for him, any ways alot rememberence to Rishabh.

    Alok

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

नए झुनझुनों से बहलाने आये हैं